आ गया बड़ा अपडेट, क्या इस बार फिटमेंट फैक्टर 2.86 होगा या टूटेंगी कर्मचारियों की उम्मीदें 8th Pay Commission

By Meera Sharma

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8th Pay Commission

8th Pay Commission: आने वाले आठवें वेतन आयोग को लेकर सरकारी कर्मचारियों के बीच अपेक्षाओं का माहौल है। विशेष रूप से फिटमेंट फैक्टर को लेकर जो चर्चाएं हो रही हैं वे कर्मचारियों की आशाओं को दर्शाती हैं। फिटमेंट फैक्टर वेतन निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह वह गुणांक है जिसके आधार पर कर्मचारियों के मूल वेतन में वृद्धि की गणना होती है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को वर्तमान के 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किया जा सकता है। यह वृद्धि महंगाई की वर्तमान दर और जीवन यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए आवश्यक मानी जा रही है।

फिटमेंट फैक्टर की कार्यप्रणाली और महत्व

फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा गणितीय उपकरण है जो वेतन आयोग द्वारा कर्मचारियों के नए मूल वेतन का निर्धारण करने के लिए उपयोग किया जाता है। सातवें वेतन आयोग में इसका मान 2.57 था जिसके कारण न्यूनतम मूल वेतन सात हजार रुपए से बढ़कर अठारह हजार रुपए हो गया था। यह वृद्धि उस समय कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत साबित हुई थी। फिटमेंट फैक्टर का सीधा प्रभाव न केवल मूल वेतन पर पड़ता है बल्कि इससे भत्ते, पेंशन और अन्य लाभ भी प्रभावित होते हैं। इसलिए कर्मचारी इसमें होने वाली हर वृद्धि को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं।

कर्मचारी संगठनों की मांगें और अपेक्षाएं

राष्ट्रीय परिषद संयुक्त सलाहकार तंत्र के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के समक्ष कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। ये संगठन केंद्रीय कर्मचारियों की ओर से सरकार के साथ बातचीत करने वाले अधिकृत प्रतिनिधि हैं। फरवरी महीने में इन संगठनों ने पंद्रह मुख्य मांगें प्रस्तुत की थीं जिनमें फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि प्रमुख है। कर्मचारी चाहते हैं कि आठवें वेतन आयोग में न केवल औद्योगिक और गैर-औद्योगिक कर्मचारियों बल्कि अखिल भारतीय सेवाओं, रक्षा और अर्धसैनिक बलों, ग्रामीण डाक सेवकों सहित सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और पेंशन की समीक्षा की जाए।

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पूर्व वेतन आयोगों का अनुभव और सबक

छठे और सातवें वेतन आयोग के अनुभव से पता चलता है कि कर्मचारियों की अपेक्षाएं हमेशा पूरी नहीं हुई हैं। छठे वेतन आयोग में कर्मचारियों ने न्यूनतम मूल वेतन दस हजार रुपए करने की मांग की थी लेकिन आयोग ने इसे केवल पांच हजार चार सौ उन्नहत्तर रुपए निर्धारित किया था। बाद में इसे बढ़ाकर छह हजार छह सौ और फिर सात हजार रुपए किया गया। सातवें वेतन आयोग में भी कर्मचारियों ने छब्बीस हजार रुपए न्यूनतम वेतन की मांग की थी जो उस समय के सात हजार रुपए के मूल वेतन से साढ़े तीन गुना अधिक था। हालांकि आयोग ने एक्रोयड फार्मूले के आधार पर इसे अठारह हजार रुपए ही निर्धारित किया था।

महंगाई का प्रभाव और वर्तमान आर्थिक स्थिति

आज की आर्थिक परिस्थितियां पिछले वेतन आयोगों के समय से काफी अलग हैं। महंगाई की दर में निरंतर वृद्धि हो रही है और जीवन यापन की लागत लगातार बढ़ रही है। खाद्य पदार्थों से लेकर ईंधन तक सभी वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की लागत भी तेजी से बढ़ी है। इन परिस्थितियों में कर्मचारियों का तर्क है कि उनके वेतन में उसी अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए जिससे वे अपने जीवन स्तर को बनाए रख सकें। वर्तमान में मिलने वाला वेतन महंगाई की मार के कारण अपर्याप्त लगता है।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएं

वित्तीय विशेषज्ञों और पूर्व वित्त सचिव का मानना है कि सरकार इस बार कर्मचारियों की मांगों पर अधिक ध्यान दे सकती है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार सरकार फिटमेंट फैक्टर को 1.92 तक बढ़ाने पर विचार कर रही है जो कर्मचारियों की अपेक्षा के अनुकूल होगा। यदि फिटमेंट फैक्टर 2.86 तक पहुंच जाता है तो यह कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत होगी। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन कर्मचारी आशावादी हैं कि इस बार उनकी मांगों को अधिक गंभीरता से लिया जाएगा। आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें न केवल वर्तमान कर्मचारियों बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए भी महत्वपूर्ण होंगी।

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अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर तैयार किया गया है। आठवें वेतन आयोग की वास्तविक सिफारिशें अभी तक जारी नहीं हुई हैं। सटीक और नवीनतम जानकारी के लिए कृपया सरकारी स्रोतों और आधिकारिक घोषणाओं का इंतजार करें।

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Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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