अब किराया नहीं बढ़ा पायेगा मकान मालिक! जानें नया कानून और अपने हक – Tenant Rights

By Meera Sharma

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Tenant Rights

Tenant Rights: आज के युग में लाखों लोग शिक्षा और रोजगार की तलाश में महानगरों में पहुंचते हैं और किराए के मकानों में निवास करते हैं। परंतु अधिकतर किरायेदार अपने कानूनी अधिकारों से पूर्णतः अवगत नहीं होते हैं। इस अनभिज्ञता का लाभ उठाकर कई मकान मालिक अपनी इच्छानुसार व्यवहार करते हैं और किरायेदारों पर अनुचित दबाव डालते हैं। हालांकि कानून में किरायेदारों को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान किए गए हैं जिनकी जानकारी प्रत्येक किरायेदार के लिए आवश्यक है। इन अधिकारों की सही समझ न केवल किरायेदारों को शोषण से बचाती है बल्कि उन्हें न्यायसंगत व्यवहार दिलाने में भी सहायक होती है।

किराया वृद्धि में पूर्व सूचना की अनिवार्यता

किरायेदारों का पहला और सबसे महत्वपूर्ण अधिकार यह है कि मकान मालिक बिना उचित सूचना के किराया नहीं बढ़ा सकते हैं। कानून के अनुसार किराया बढ़ाने के लिए मकान मालिक को कम से कम तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना आवश्यक है। यह नोटिस स्पष्ट और विस्तृत होना चाहिए जिसमें किराया वृद्धि की मात्रा और कारण का उल्लेख हो। बिना इस औपचारिकता के की गई कोई भी किराया वृद्धि कानूनी रूप से अमान्य मानी जाएगी। यह नियम किरायेदारों को अचानक आर्थिक दबाव से बचाता है और उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय प्रदान करता है।

आवश्यक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना

दूसरा महत्वपूर्ण अधिकार मूलभूत सुविधाओं से संबंधित है। मकान मालिक की जिम्मेदारी है कि वे किरायेदार को बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएं। यदि मकान मालिक इन सुविधाओं को प्रदान करने से मना करते हैं या किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करते हैं तो किरायेदार रेंट अथॉरिटी में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यह अधिकार सुनिश्चित करता है कि किरायेदार को रहने योग्य और स्वास्थ्यप्रद वातावरण मिले। इसके अतिरिक्त यह मकान मालिकों को अपनी संपत्ति को उचित स्थिति में बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।

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निष्कासन संबंधी सुरक्षा प्रावधान

तीसरा अधिकार किरायेदार की निवास सुरक्षा से जुड़ा है। मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट में निर्धारित अवधि पूर्ण होने से पहले किरायेदार को मकान से नहीं निकाल सकते हैं। हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में यह नियम बदल सकता है। यदि किरायेदार लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता है या मकान मालिक को संपत्ति किसी अत्यावश्यक कार्य के लिए चाहिए तो वे पंद्रह दिन पूर्व लिखित सूचना देकर मकान खाली कराने की मांग कर सकते हैं। यह प्रावधान दोनों पक्षों के हितों का संतुलन बनाए रखता है।

मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी

चौथा अधिकार मकान की मरम्मत और रखरखाव से संबंधित है। यदि मकान में कोई समस्या उत्पन्न होती है जैसे पानी का रिसाव, बिजली की खराबी या दीवारों का प्लास्टर गिरना तो इसकी मरम्मत कराना मकान मालिक की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि वे इस दायित्व को पूरा करने में असमर्थ या अनिच्छुक हैं तो किरायेदार किराया कम करवाने की मांग कर सकते हैं। इसके लिए वे रेंट अथॉरिटी में औपचारिक शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं। यह व्यवस्था किरायेदारों को रहने योग्य स्थिति में मकान प्राप्त करने का अधिकार देती है।

निजता का सम्मान और वित्तीय पारदर्शिता

पांचवां और अंतिम अधिकार व्यक्तिगत निजता और वित्तीय पारदर्शिता से जुड़ा है। रेंट एग्रीमेंट के बाद मकान मालिक बिना अनुमति के किरायेदार के कमरे में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। वे किरायेदार की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। साथ ही किरायेदार को प्रत्येक महीने किराए की रसीद लेना आवश्यक है। यह रसीद भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में महत्वपूर्ण साक्ष्य का काम करती है और कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है।

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अस्वीकरण: यह लेख सामान्य कानूनी जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। कानूनी प्रावधान राज्य के अनुसार भिन्न हो सकते हैं। किसी भी कानूनी समस्या के लिए योग्य वकील या कानूनी सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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