Personal Loan: जब अचानक से पैसों की जरूरत होती है तो पर्सनल लोन एक आसान समाधान नजर आता है। बैंक इसे इमरजेंसी लोन के नाम से भी पेश करते हैं क्योंकि यह जल्दी मिल जाता है और इसके लिए किसी गारंटी की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि इसकी सुविधा के पीछे छुपा हुआ नुकसान यह है कि बैंक इस पर काफी ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। बारह से चौबीस प्रतिशत तक की ब्याज दरें आम बात हैं जो बाद में चुकाना मुश्किल बना देती हैं। अगर आप समय पर लोन नहीं चुका पाते तो बैंक आपको डिफॉल्टर घोषित कर देता है, जिससे आपका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है और भविष्य में लोन मिलना मुश्किल हो जाता है।
पहला सवाल: क्या वास्तव में लोन लेना अनिवार्य है
लोन लेने से पहले सबसे पहले यह विचार करें कि क्या आपकी जरूरत वास्तव में इतनी जरूरी है कि उसके लिए ऊंची ब्याज दर पर लोन लेना पड़े। अगर आपकी आवश्यकता कुछ समय के लिए है और इसे परिवार या दोस्तों से उधार लेकर पूरा किया जा सकता है तो यह बेहतर विकल्प होगा। पारिवारिक उधार पर न तो ब्याज देना पड़ता है और न ही सिबिल स्कोर खराब होने का जोखिम रहता है। इसके अलावा आप अपनी सुविधा के अनुसार पैसे वापस कर सकते हैं। कई बार हम तत्काल की जरूरत को देखकर जल्दबाजी में फैसला ले लेते हैं जो बाद में परेशानी का कारण बनता है।
दूसरा और तीसरा सवाल: राशि और क्रेडिट स्कोर का महत्व
लोन की सही राशि तय करना बेहद जरूरी है क्योंकि जितना ज्यादा लोन लेंगे उतनी बड़ी ईएमआई बनेगी। अगर ईएमआई कम करने के लिए आप अवधि बढ़ाते हैं तो कुल ब्याज की रकम बहुत ज्यादा हो जाएगी। इसलिए पहले अपना बजट बनाएं और उसके अनुसार ही लोन राशि तय करें। साथ ही अपना क्रेडिट स्कोर जरूर जांच लें क्योंकि यह आपकी वित्तीय विश्वसनीयता का पैमाना है। सात सौ पचास से ऊपर का स्कोर फायदेमंद माना जाता है और इससे कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है। अच्छा क्रेडिट स्कोर न केवल लोन अप्रूवल में मदद करता है बल्कि बेहतर शर्तों पर भी लोन दिलवाता है।
चौथा और पांचवां सवाल: अवधि और समय की योजना
लोन की अवधि तय करते समय संतुलन बनाना जरूरी है। छोटी अवधि का लोन लेने पर ईएमआई ज्यादा होती है लेकिन कुल ब्याज कम चुकाना पड़ता है। वहीं लंबी अवधि में ईएमआई कम होती है लेकिन ब्याज में ज्यादा रकम जाती है। आमतौर पर पर्सनल लोन की अवधि एक साल से पांच साल तक होती है। लोन की प्रक्रिया में लगने वाले समय की भी जानकारी पहले से ले लें। बैंक से स्पष्ट रूप से पूछें कि दस्तावेज जमा करने के बाद कितने दिन में लोन मिलेगा। आवश्यक कागजात पहले से तैयार रखें ताकि प्रक्रिया में देरी न हो।
फायदे और नुकसान का संतुलित विचार
पर्सनल लोन के कुछ फायदे हैं जैसे बिना गारंटी मिलना, तेज प्रक्रिया, किसी भी जरूरत के लिए उपयोग और लचीली ईएमआई। हालांकि इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। ऊंची ब्याज दरें, देर से ईएमआई पर भारी जुर्माना, लंबी अवधि में ज्यादा ब्याज और कर्ज के जाल में फंसने का खतरा मुख्य समस्याएं हैं। इसलिए पर्सनल लोन लेने से पहले इन सभी बातों पर गहराई से विचार करें और केवल अत्यंत आवश्यक स्थिति में ही इसका सहारा लें।
अस्वीकरण: यह लेख पर्सनल लोन की सामान्य जानकारी पर आधारित है। ब्याज दरें और नियम अलग-अलग बैंकों में भिन्न हो सकते हैं। लोन लेने से पहले संबंधित बैंक से विस्तृत जानकारी अवश्य लें।